Sunday, November 16, 2008

मधुशाला- 1

मृदु भावों के अंगूरों की
आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने हाथों से
आज पिलाऊंगा प्याला,
पहले भोग लगा लूं तेरा ,
फिर प्रसाद जग पाएगा ,
सबसे पहले तेरा स्वागत
करती मेरी मधुशाला।
प्यास तुझे तो विश्व तपाकर
पूर्ण निकालूंगा हाला,
एक पाव से साकी बनकर
नाचूंगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे
ऊपर कबका वार चुका,
आज निछावर कर दूंगा मैं
तुझ पर जग की मधुशाला।
प्रियतम,तू मेरी हाला है,
मैं तेरा प्यासा प्याला,
अपने को मुझमें भरकर तू
बनता है पीनेवाला,
मैं तुझको छल छलका करता,
मस्त मुझे पी तू होता,
एक दूसरे को हम दोनों
आज परस्पर मधुशाला।
भावुकता अंगूर लता से
खींच कल्पना की हाला,
कवि साकी बनकर आया है
भरकर कविता का प्याला,
कभी न कण भर खाली होगा ,
लाख पिएं,दो लाख पिएं,
पाठकगण है पीनेवाले,
पुस्तक मेरी मधुशाला।
मधुर भावनाओं की सुमधुर
नित्य बनाता हूं हाला,
भरता हूं इस मधु से अपने
अंतर का प्यासा प्याला,
उठा कल्पना के हाथों से
स्वयं इसे पी जाता हूं,
अपने ही में हूं मैं साकी,
पीने वाला, मधुशाला।
मदिरालय जाने को घर से
चलता है पीनेवाला,
किस पथ से जाऊं असमंजस
में है वह भोला भाला
अलग-अलग पथ बतलाते सब
पर मैं यह बतलाता हूं-
राह पकड़ तू एका चला चल.,
पा जाएगा मधुशाला।
चलने ही चलने में कितना
जीवन, हाय, बिता डाला।
दुर अभी है, पर , कहता हूं
हर पथ बतलाने वाला,
हिम्मत है न बढ़ूं आगे को,
साहस है न फिरूं पीछे ,
किंकर्तव्यविमूढ़ मुझे कर
दूर खड़ी है मधुशाला।
मुख से तू अविरत कहता जा
मधु, मदिरा, मादक हाला,
हाथों में अनुभव करता जा
एक ललित कल्पित प्याला,
ध्यान किए जा मन में सुमधुर,
सुखकर,सुन्दर साकी का,
औऱ बढ़ा चल, पथिक , न तुझको
दूर लगेगी मधुशाला।

मदिरा पीने की अभिलाषा
ही बन जाए जब हाला,
अधरों की आतुरता में ही
जब आभासित हो प्याला,
बने ध्यान ही करते-करते
जब साकी साकार,सखे,
रहे न हाला, प्याला, साकी.
तुझे मिलेगी मधुशाला।
सुन, कलकल,छलछल मधु-
धट से गिरती प्यालों में हाला,
सुन,रूनझुन,रुनझुन चल
वितरण करती मधु साकीबाला,
बस आ पहूंचे, दूर नहीं कुछ ,
चार कदम अब चलना है,
चहक रहे, सुन पीनेवाले,
महक रही, ले, मधुशाला।
जलतरंग बजता, जब चुंबन
करता प्याले को प्याला,
वीणा झंकृत होती,चलती,
जब रुनझुन साकीबाला,
डाँट-डपट मधुविक्रेता की
ध्वनित पखावज करती है,
मधुरव से मधु की मादकता
और बढ़ाती मधुशाला।
मेंहदी -रंजित मृदुल हथेली
पर माणिक मधु का प्याला,
अंगूरी अवगुंठन डाले
स्वर्ण -वर्ण साकीबाला
पाग बैंजनी जामा नीला
डाट डटे पीने वाले,
इंद्रधनुष से होड़ लगाती
आज रंगीली मधुशाला।
हाथों में आने से पहले
नाज दिखाएगा प्याला,
अधरों पर आने से पहले
अदा दिखाएगी हाला,
बहुतेरे इंकार करेगा
साकी आने से पहले,
पथिक, न घबरा जाना, पहले
मान करेगी मधुशाला।
लाल सुरा की धार लपट-सी
कह न इसे देना ज्वाला,
फेनिल मदिरा है,मत इसको
कह देना उर का छाला
दर्द नशा है इस मदिरा का
विगतस्मृतियां -साकी-है,
पीड़ा में आनंद जिसे हो,
आए मेरी मधुशाला।
जगती की शीतल हाला-सी,
पथिक, नहीं मेरी हाला,
जगती के ठॆडे प्याले सा
पथिक, नहीं मेरा प्याला,
ज्वाल -सुरा जलते प्याले में
दग्ध ह्रदय की कविता है,
जलने से भयभीत न जो हो,
आए मेरी मधुशाला।
बहती हाला देखी,देखो
लपट उठाती अब हाला,
देखो प्याला अब छूते ही
होठ जला देनेवाला,
होठ नहीं, सब देह दहे ,पर
पीने को दो बूंद मिले
ऐसे मधु के दीवानो को
आज बुलाती मधुशाला।
धर्म-ग्रंथ सब जला चुकी है
जिसके अंतर की ज्वाला,
मंदिर, मस्जिद ,गिरजे -सबको
तोड़ चुका जो मतवाला
पंडित,मोमिन ,पादरियो के
फंदो को जो काट चुका ,
कर सकती है आज उसी का
स्वागत मेरी मधुशाला।
लालायित अधरों से जिसने,
हाय,नहीं चूमी हाला,
हर्ष-विकंपित कर से जिसने,
हा, न छुआ मधु का प्याला,
हाथ पकड़ लज्जित साकी का
पास नहीं जिसने खींचा,
व्यर्थ सुखा डाली जीवन की
उसने मधुमय मधुशाला।
बने पुजारी प्रेमी साकी
गंगाजल पावन हाला
रहे फेरता अविरत गति से
मधु के प्यालों की माला,
और लियें जा, और पिये जा-
इसी मंत्र का जाप करे ,
मैं शिव की प्रतिमा बन बैठूं,
मंदिर हो यह मधुशाला।
बजी न मंदिर में घड़ियाली,
चढ़ी न प्रतिमा पर माला,
बैठा अपने भवन मुअज्जिन
देकर मस्जिद में ताला,
लूटे खजाने नरपतियों के
गिरी गढ़ो की दीवारें,
रहे मुबारक पीने वाले
खुली रहे यह मधुशाला।
बड़े-बड़े परिवार मिटें यों
एक न हो रोनेवाला,
हो जाएं सुनसान महल वे,
जहां थिरकतीं सुरबाला,
राज्य उलट जाएं ,भूपों की
भाग्य सुलक्ष्मी सो जाए
जमे रहेंगे पीनेवाले,
जगा करेगी मधुशाला।
सब मिट जाएं,बना रहेगा
सुंदर साकी यम काला,
सूखें सब रस, बने रहेंगें
किंतु हलाहल औ हाला,
धूमधाम औ चहल पहल की
जगह सभी सुनसान बनें,
जगा करेगा अवरित मरघट,
जगा करेगी मधुशाला।
बुरा सदा कहलाया जग में
बांका ,मद-चंचल प्याला,
छैल-छबीला ,रसिया साकी
अलबेला पीने वाला,
पेट कहां से ,मधुशाला औ
जग की जोड़ी ठीक नहीं-
जग जर्जर प्रतिदिन,प्रतिक्षण ,पर
नित्य नवेली मधुशाला।
बिना पिए जो मधुशाला को
बुरा कहे,वह मतवाला,
पी लेने पर तो उसके मुंह
पर पड़ जाएगा तालाच
दास-द्रोहियों दोनों में है
जीत सुरा की प्याले की,
विश्वविजयिनी बनकर जग में
आई मेंरी मधुशाला।
हरा भरा रहता मदिरालय
जग पर पड़ जाए पाला,
वहां मुहर्रम का तम छाए,
यहां होलिका की ज्वाला,
स्वर्ग लोक से सीधी उतरी
वसुधा पर,दुख क्या जाने,
पढ़े मर्सिया दुनिया सारी,
ईद मनाती मधुशाला।
एक बरस में एक बार ही
जगती होली की ज्वाला,
एक बार ही लगती बाजी
जलती दीपो की माला,
दुनियावालों ,किंतु किसी दिन
आ मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दिवाली,
रोज मनाती मधुशाली।
नहीं जानता कौन , मनुज
आया बनकर पीनेवाला,
कौन अपरिचित उस साकी से
जिसने दूध पिला पाला,
जीवन पाकर मानव पीकर
मस्त रहे,इस कारण ही,
जग में आकर सबसे पहले
पाई उसने मधुशाला।
बनी रहें अंगूर लताएं
जिनसे मिलती है हाला,
बनी रहे वह मिट्टी जिससे
बनता है मधु का प्याला,
बनी रहे वह मंदिर पिपासा
तृप्त न जो होना जाने,
बने रहें ये पीनेवाले,
बनी रहे यह मधुशाला ।
सकुशल समझो मुझको,सकुशल
रहती यदि साकीबाला,
मंगल और अमंगल समझे
मस्ती में क्या मतवाला,
मित्रों ,मेरी क्षेम न पूछो
आकर,पर मधुशाला की,
कहो करो जयराम न मिलकर
कहा करो जय मधुशाला।

Saturday, October 25, 2008

शादी पर सलाह

दोस्तों, पुराने जमाने में शादी से पहले लड़का लड़की की कुंडली मिलायी जाती थी। शादी से पहले पुरोहित जी कुंडली देखके के रिश्ता पक्का करते थे। लेकिन समय बदला, लोग धीरे-धीरे कुंडली भूल गये,शादी में जन्मकुंडली पर दहेज हावी हो गया ।लोग दहेज के सामने जन्मकुंडली क्या लड़की कैसी वे भी भुल गये। लेकिन समय तो अपनी गति से चलता रहता है। भुमंडलीकरण के इस दौर में लड़कियां भी स्वालंबी बनी...पुराने जमाने का गंधर्व विवाह के जगह लव मैरेज ने ले लिया। लेकिन अब मैं आप लोगों को एक सलाह देना चाहता हूं कि जो कभी मैं अपने एक खास दोस्त को दिया था, लेकिन नहीं माना...नतीजा सामने है। वो सलाह मैं आपलोग से भी बांटना चाहता हूं। शादी में सबसे पहले जोड़ो का बल्ड ग्रुप मिलाये... बल्ड ग्रुप में ध्यान यह रखना चाहिए कि लड़की का बल्ड ग्रुप निगेटिव तो नहीं है। अगर लड़की का बल्ड ग्रुप निगेटिव है तो लड़के का बल्ड ग्रुप भी निगेटिव ही होना चाहिए नहीं तो बच्चे के पैदा होने में समस्या होती है। अगर लड़की का बल्ड रेहस निगेटिव है और लड़का का रेहस पॉजीटिव तब ऐसे में पहला बच्चा तो नार्मल होने कि संभावना तो रहती है, लेकिन दुसरा या उसके बाद में कोई भी बच्चा सरभाइव नहीं करता है। इसे इर्थोब्लास्टोसिस फियोटेलिस कहते हैं...तब दोस्तो शादी के पहले इस बात का ध्यान रखियेगा।